Tuesday, September 18, 2018

नीदरलैंड ने बाढ़ से निपटने के लिए पानी को रोका नहीं उसे रास्ता दिया

डिजास्टर मैनेजमेंट एक ऐसा विषय है, जिसके बारे में सारी जानकारी सरकारी पदाधिकारियों के पास ही है, Monopoly of information  ! आम आदमी अभी भी इस विषय के बारे में लगभग कुछ नहीं जानता. हालांकि वो साल दर डिजास्टर की चपेट में आता है. प्राकृतिक आपदाओं के कारण प्रतिवर्ष हमारे देश में जान और माल की भारी क्षति होती है. यह सही है कि प्राकृतिक आपदाओं पर मनुष्य का बस नहींलेकिन उचित जानकारी के साथ इसके खतरे को कम किया जा सकता है.  Marginalised.in डिजास्टर मैनेजमेंट पर 50आर्टिकल्स का सीरीज लेकर आ रहा है, ताकि डिजास्टर मैनेजमेंट की पेचीदगियों को आम आदमी आम भाषा में समझ सके.
प्रस्तुत है इस कड़ी का चौथा आर्टिकल:
 नीदरलैंड ने बाढ़ से निपटने के लिए पानी को रोका नहीं उसे रास्ता दिया


नकुल  तरुण (नकुल तरुण डिजास्टर एक्सपर्ट हैं, उन्हें इस फील्ड में १५ सालों का अनुभव है, फिलहाल वे नयी दिल्ली में रहते हैं).
नीदरलैंड एक ऐसा देश है जिसकी 20 प्रतिशत भूमि समुद्रतल से नीचे है और 50 प्रतिशत समुद्र तल से मात्र एक मीटर ऊपर है, इसी कारण से इसका नाम नीदरलैंड पड़ा. नीदर का अर्थ होता है जमीन जो समुद्रतल से नीचे हो.
नीदरलैंड का हर जेनरेशन विनाशकारी बाढ़ से रूबरू हो चुका है. लेकिन 31 जनवरी 1953 को आये भयंकर समुद्री तूफान ने देश के तटीय इलाके को ध्वस्त कर दिया. यह नीदरलैंड की सरकार के लिए एक चेतावनी थी. इस आपदा ने 1836 लोगों की जान ली थी और दो लाख लोग के करीब लोग विस्थापित हुए थे.
इस आपदा के परिणामों विशेषकर आर्थिक परिणामों को देखते हुए यह स्वाभाविक था कि सरकार बाढ़ से जुड़े तमाम प्रश्नों के उत्तर चाहती, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण थे:
– नीदरलैंड के तट पर किस स्तर का समुद्री तूफान आ सकता है?
– नीदरलैंड के तट पर  बाढ़ के खिलाफ सुरक्षा के कितने उपाय हैं और अगर नहीं हैं, तो क्या उपाय किये जाने चाहिए.
इन सवालों का जवाब तलाशने के लिए सरकार ने डेल्टा कमीशन की नियुक्ति की.






समुद्री तूफ़ान लूनर मन्थ में ज्यादा खतरनाक होता है:
चंद्रमा आधारित एक नये महीने( lunar month) में एक वसंत ज्वार (spring tide) दो बार आता है, जब सूर्य और चंद्रमा पृथ्वी के साथ एक सीध में होते हैं. जिसे एक एलांइनमेंट में होना भी कहते हैं.इस स्थिति में इनके गुरुत्वाकर्षण एक दूसरे को मजबूती देते हैं और पृथ्वी पर ज्वार या लहरों को बढ़ाते हैं. वसंत ज्वार समुद्र के एक सामान्य लहर से अलग होता है और यह समुद्र के आधे से अधिक हिस्से को घेर लेता है.
1953 जैसी घटना फिर हो सकती हैं इस बात को समझते हुए डच सरकार ने बाढ़ के बाद तटीय क्षेत्रों को सुरक्षित             करने के लिए तत्काल रिसर्च शुरू करवाया और एक फुलप्रुफ प्लान बनवाया ताकि भविष्य में ऐसी विनाशक़ारी             घटना की पुनरावृति न हो.
डेल्टा वर्क्स:
डच इंजीनियरों ने आखिरकार एक ऐसा डेल्टा वर्क्स विकसित किया, जिसमें बांधों और समुद्री तूफानो को रोकने वाले बैरियर की एक विस्तृत और जटिल प्रणाली शामिल थी. उन्होंने एक ऐसी प्रणाली विकसित की जिसका यह प्रयास था कि पानी आम जनता के जीवन में इस कदर प्रवेश ना करे कि वह परेशानी का सबब बन जाये, इसे रोकने के लिए शायद यह दुनिया की सबसे बड़ी निर्माण परियोजना थी. इंजीनियरिंग के ये प्रभावशाली कार्य आज पूरी दुनिया के लिए मिसाल चुके हैं, हालांकि पर्यावरण विनाश के नाम पर सरकार को बहुत कठोर विरोध का सामना करना पड़ा था.
एक विचार यह भी सामने आया कि केवल डाइक ( एक मोटी मज़बूत कंक्रीट की दिवार जो पानी को लो लाइंग एरिया में घुसने से रोकती है) और बांधो के जरिये इस समस्या का समाधान संभव नहीं है, क्योंकि एक सीमा के बाद पानी को रोकने की कोशिश अव्यवहारिक कहलाएगी. ऐसे में यह तय किया गया कि पानी को रोकने की बजाय उसे रास्ता दिया जाये ताकि वह अपने रास्ते बह जाये और नागरिकों को नुकसान ना पहुंचे.
तो जैसा सोचा गया था, बाढ़ को रोकने के इन तमाम प्रयासों के बाद नीदरलैंड में स्थिति बदली. अब स्थिति ऐसी है कि वहां बाढ़ तो आती है लेकिन वह आपदा नहीं बनती. इससे लोगों का जीवन अस्त व्यस्त नहीं होता है.
आज दुनिया नीदरलैंड की इन परियोजनाओं का अध्ययन कर रही है और उसे अपने अपने स्तर पर व्यवहार में लाने के लिए प्रयास कर रही है. जब मै बिहार के बारे में सोचता हूँ तो मेरे मन में ये ख्याल आते हैं कि बिहार में बाढ़ के जोखिम को कम करना संभव है, बिलकुल संभव है और बिहार ऐसा कर सकता है, बस जरूरत है कि हम इस समस्या के क्षेत्रीय समाधान के बारे में सोचें बजाय कि स्थानीय समाधान के.

No comments:

Post a Comment

How Disaster Management Helps You to Achieve Your Company’s Success

Disasters in the form of natural calamities, human errors, thefts, hacking and other incidents may take place at any time. Considering...